अहमदाबाद न्यूज डेस्क: एयर इंडिया के अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गए पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने में देरी को लेकर अमेरिकी अटॉर्नी माइक एंड्रयूज़ ने एयर इंडिया की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अगर टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा आज जीवित होते तो एयरलाइंस कंपनी इस तरह की नौकरशाही प्रक्रिया से बचते हुए पीड़ितों को समय पर मुआवजा देती। माइक एंड्रयूज़ ने रतन टाटा के कार्यशैली और विनम्रता की तारीफ करते हुए बताया कि उनके रहते यह प्रक्रिया इतनी लंबी और जटिल नहीं होती।
अमेरिकी वकील ने एक दुखद उदाहरण साझा किया, जहां एक बुजुर्ग महिला जो अपने बेटे पर निर्भर थी, दुर्घटना के बाद मुआवजा मिलने में देरी के कारण अपनी मेडिकल जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है। माइक एंड्रयूज़ ने कहा कि यह स्थिति बेहद दुखद है क्योंकि महिला अब अकेली है और उसके सहारे का कोई नहीं बचा। उन्होंने इस मामले को लेकर पीड़ित परिवारों की पैरवी करते हुए कहा कि उन्हें जल्द से जल्द राहत मिलनी चाहिए।
इस मामले में 65 से अधिक प्रभावित परिवारों ने अमेरिका की लॉ फर्म बेस्ली एलन के माध्यम से एयर इंडिया और विमान निर्माता कंपनी बोइंग के खिलाफ अमेरिकी फेडरल कोर्ट में याचिका दायर की है। माइक एंड्रयूज़ ने दुर्घटना स्थल का दौरा किया और पीड़ितों की ओर से आवाज उठाई। 26 जुलाई को एयर इंडिया ने 229 यात्रियों और 19 जमीन पर मारे गए लोगों के परिवारों को अंतरिम मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये का भुगतान किया है, लेकिन अभी भी कई परिवार मुआवजा पाने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
26 जुलाई को अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान संख्या AI171, बोइंग 787-8 विमान, टेकऑफ़ के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 260 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे ने देश भर में शोक की लहर दौड़ा दी। मुआवजा देने में हुई देरी से पीड़ित परिवारों की भावनाएं और भी आहत हुई हैं। इस बीच, अमेरिकी वकील माइक एंड्रयूज़ ने कंपनी से आग्रह किया है कि वे तेजी से मुआवजा भुगतान करें और पीड़ितों के अधिकारों का सम्मान करें।